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Shrine Board

श्री कपाल मोचन, श्री बद्री नारायण, श्री माता मंत्रा देवी एवं श्री केदारनाथ श्राईन बोर्ड

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श्री कपाल मोचन, श्री बद्री नारायण, श्री माता मंत्रा देवी एवं श्री केदार नाथ श्राइन बोर्ड, बिलासपुर, जिला यमुना नगर के आधिकारिक सदस्यों की सूची

नाम : श्री मनोहर लाल
पद : मुख्यमंत्री हरियाणा एवं अध्यक्ष
DC_YNR नाम : श्री मनोज कुमार,आई.ए.एस
पद : उपायुक्त-सह-मुख्य प्रशासक
नाम : श्री। जसपाल गिल, एच.सी.एस
पद: उपमंडल अधिकारी बिलासपुर -सह- मुख्य कार्यपालन अधिकारी

कपाल मोचन के बारे में

कपाल मोचन, यमुनानगर जिले के बिलासपुर रोड पर, जगाधरी शहर से 17 किमी उत्तर-पूर्व में, हिंदुओं और सिखों दोनों के लिए तीर्थयात्रा का एक प्राचीन स्थान है। इसे गोपाल मोचन और सोमसार मोचन भी कहा जाता है। किंवदंती के अनुसार, ब्राह्मणहत्या यानी ब्राह्मण की हत्या को एक बड़ा पाप माना जाता है, लेकिन जो कोई ब्राह्मण को मारकर यहां स्नान करता है, उसके ब्राह्मणहत्या के पाप धुल जाते हैं। यमुना नगर जिले में निकटवर्ती बिलासपुर, हरियाणा (बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश के साथ भ्रमित नहीं होना) जो “व्यास पुरी” के भ्रष्ट रूप से अपना नाम लेता है, वेद व्यास ऋषि का आश्रम था जहां उन्होंने सरस्वती के तट पर महाभारत लिखा था। आदि बद्री के पास नदी जहाँ सरस्वती नदी हिमालय को छोड़कर मैदानों में प्रवेश करती है। यह कुरुक्षेत्र और धोसी हिल की 48 कोस परिक्रमा के साथ हरियाणा के सबसे प्राचीन वैदिक धार्मिक स्थलों में से एक है।

श्राईन बोर्ड के अर्न्तगत पूजास्थल / मन्दिरों का विवरण

कपालमोचन
श्री बद्री नारायण
श्री माता मंत्रा देवी मंदिर
श्री केदार नाथ मंदिर
सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल कपाल मोचन विभिन्न वर्गों, धर्मों तथा जातियों की एकता का प्रतीक है। कपाल मोचन यमुनानगर जिले के सिन्धुवन में बिलासपुर के साथ स्थित है। देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में हिन्दू, मुस्लिम तथा सिक्ख श्रद्वालु हर वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा के अवसर पर यहाँ लगने वाले मेले में भाग लेते हैं तथा मोक्ष की कामना से पवित्र सरोवर में स्नान करते हैं। पुराणों के अनुसार कपाल मोचन तीर्थ तीनों लोकों में से पाप से मुक्ति दिलाने वाला स्थान है। यह स्थान भगवान श्री आदिबद्री नारायण का प्राचीन आवास माना जाता है। जन श्रुतियों के अनुसार भगवान विष्णु ने सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग तीनों युगों में इस स्थान पर वास किया व कलियुग के आगमन पर भी वर्तमान में उत्तरांचल के प्रसिद्व तीर्थ स्थल बद्री धाम चले गये इससे पहले भगवान श्री विष्णु आदिबद्री धाम आये थे। इसलिए इस स्थान को प्राचीनतम होने का गौरव प्राप्त है। हरियाणा राज्य के शिवालिक पर्वत श्रृखलाओ में से सबसे ऊँची पहाड़ी में स्थित यह माँ मन्त्रा देवी का मन्दिर आदिबद्री से लगभग 2.5 की0मी0 ऊपर पर्वत श्रृंखलाओं में विद्यमान है। मन्त्रों से प्रकट हुई माता समस्त भारतवर्ष में केवल इसी स्थान पर स्थित है। यहाँ एक सुन्दर गुफा में नर-नारायण की आद्वितीय, लौकिक एवं मनमोहक दो मूर्तियाँ एक ही लाल पत्थर में पिण्ड के रूप में विराजमान है। श्री केदारनाथ जी शिव मन्दिर भी द्वावर युग का श्री नारायण की तपो उर्जा का वरदान है। पाण्डवों द्वारा महाभारत समाप्ति के बाद जब हिमालय की चोटी की ओर बढ़े तो सबसे पहले सिन्धुवन में आदि केदारनाथ का जलाभिषेक कर उत्तराखण्ड की चारों धाम की यात्रा पर गये।